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Monday 19 March 2018

*वाक़ीअए में'राज से माख़ज़ मदनी फूल* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
प्यारे आक़ा ﷺ के सफरे मेराज से हासिल होने वाले चन्द खूबसूरत मदनी फूल मुलाहज़ा कीजिये:
     मका से बैतूल मुक़द्दस की तरफ जाते हुवे रास्ते में जिब्राइल ने हुज़ूर ﷺ को तीन मक़ामात पर नमाज़ पढ़ने के लिये कहा और आप ﷺ ने नमाज़ अदा फ़रमाई: (1) मदीना की पाक ज़मीन में, जिस की तरफ मुसलमानों की हिजरत होने वाली थी। (2) तुर पहाड़ पर, जहाँ अल्लाह ने हज़रते मूसा عليه السلام से कलाम फ़रमाया था। (3) बैते लहम में जहाँ हज़रते ईसा عليه السلام की विलादत हुई।
     इससे मालुम हुवा कि ये मक़ामात बहुत ही अज़मत वाले है और क्यूं न हो कि इन्हें अल्लाह के जलिलुल क़द्र अम्बियाए किराम عليه السلام के साथ निस्बत है।
     हज़रते अल्लामा मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله عليه फ़रमाते है: जिस चीज़ को सालिहीन से निस्बत हो जाए वो चीज़ अज़मत वाली बन जाती है।
     नीज़ इस से तबर्रुकाते सालिहीन से बरकत लेने का सुबूत भी मिलता है। चुनान्चे हासियाए सिन्धी में है कि हुज़ूर ﷺ का ये अमले मुबारक आसारे सालिहीन को तलाश करने, उनसे बरकत लेने और उनके पास अल्लाह की इबादत करने के सिलसिले में बहुत बड़ी दलील है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 50
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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