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Wednesday 21 March 2018

*वाक़ीअए में'राज से माख़ज़ मदनी फूल* #04
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     दीगर अम्बियाए किराम की ये शान है कि बैतूल मुक़द्दस में प्यारे आक़ा ﷺ की इक़्तिदा में नमाज़ अदा की फिर आन की आन में आस्मान पर आप ﷺ के इस्तिक़बाल के लिये हाज़िर हो गए तो खुद सय्यिदुल अम्बिया ﷺ की अज़्मतों शान और ताक़तों क़ुव्वत का आलम क्या होगा?
     इससे मालुम हुवा की आप ﷺ की बारगाह में बुराक़ को हाज़िर लाया जाना और हुज़ूर ﷺ का उस पर सवार हो कर बैतूल मुक़द्दस और आसमानों की सैर को तशरीफ़ लर जाना महज़ आप ﷺ की ताज़ीम व तकरिम और इज़हारे शान के लिये था। इससे हरगिज़ ये नहीं कहा जा सकता कि आप इस सैर के लिये बुराक़ के मोहताज थे, ये हो ही नहीं सकता है कि आप कभी किसी मुआमले में किसी मख्लूक़ के मोहताज हों। आप ﷺ रब के नाइबे अकबर है जिसको जो मिला आप ﷺ के तवस्सुल से ही मिला।
     सब को हुज़ूर अक़दस ﷺ की हाजत है और आपको रब के सिवा किसी के मोहताज नहीं। बुखारी शरीफ की हदीस है कि आक़ा ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: में तक़्सीम करने वाला हूँ और अल्लाह अता फ़रमाता है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 53
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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