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Monday 19 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #87
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत नूह عليه السلام*

*तूफ़ान की इन्तेहा*
     जब काफिरों को ग़र्क़  होने का काम मुकम्मल हो गया तो तूफ़ान को खत्म कर दिया गया बारिश रोक दी ज़मीन को हुक्म दिया गया कि अब जो पानी तेरे ऊपर है उसे अपने अंदर जज़्ब कर ले।
     सिर्फ वही लोग और जानवर बचे जो कश्ती में सवार थे बाक़ी तमाम इंसान चौपाए परिन्दे और दूसरे वहशी जानवर ग़र्क़ हो गये और ग़र्क़ होना अक़ील बालिग़ काफिरों के लिये अज़ाब था।
     हदिष में आया है: जब अल्लाह किसी क़ौम पर अज़ाब नाज़िल करता है तो सब अच्छे और बुरे इस अज़ाब में मुब्तला हो जाते है फिर जब उठाये जाएंगे तो हर एक को अपने अपने आमाल के मुताबिक़ उठाया जाएगा।

*कश्ती जुदी पहाड़ पर क्यों रुकी?*
     तमाम पहाड़ अपनी अपनी बिलंदियों पर तकब्बुर कर रहे थे और इतरा रहे थे लेकिन जुदी पहाड़ अल्लाह के हुज़ूर अपनी आजिज़ी ही करता रहा तो अल्लाह ने उसे यह तकरिम अता फ़रमाई कि नूह عليه السلام की कश्ती उस पर आकर ठहरी। जिसने आजिज़ी की अल्लाह ने उसे रिफअत अता की।
     ख्याल रहे जुदी पहाड़ मोसल या शाम के इलाके में है। यह भी ख्याल रहे की पानी हरम शरीफ में दाखिल नहीं हुआ था।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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