*क़ुरआन में मे'राज का बयान* #03
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*अल्लाह की क़ुदरत का बयान*
अपनी पाकी का बयान फरमाने के बाद اٙسْرٰى का लफ्ज़ इर्शाद फ़रमाया जिस का मतलब है: ले गया। गौर कीजिये! अल्लाह ने हुज़ूर ﷺ को जाने वाला नहीं फ़रमाया बल्कि अपनी ज़ाते मुक़द्दस को ले जाने वाला फ़रमाया।
उलमा फ़रमाते है कि अल्लाह ने लफ्ज़ سبحان और اسرى फरमा कर मेराज जिस्मानी पर होने वाले हर एतिराज़ का जवाब दिया है, गोया यूँ फ़रमाया कि ऐ मुन्किरो! खबरदार! वाक़ीआए मेराज में मेरे हबीब पर एतिराज़ करने का तुम्हें कोई हक़ नहीं। इस लिये कि इन्होंने मेराज करने और मस्जिदे अक़्सा या आसमानों पर खुद जाने का दावा नहीं किया। ऐसी सूरत में तुम्हें इन पर एतिराज़ करने का क्या हक़ है? ये दावा तो मेरा है कि में अपने हबीब को ले गया। अब अगर मेरे ले जाने पर एतिराज़ है कि अल्लाह कैसे ले गया? ये ले जाना और ज़रा सी देर में आसमानों की सैर करा के वापस ले आना तो मुमकिन नहीं तो याद रखो कि में سبحان (हर इज्ज़ व कमज़ोरी से पाक) हूँ। जो चीज़ मख्लूक़ के लिये आदतन नामुमकिन और महाल है अगर मेरे लिये भी उसी तरह मुहाल और नामुमकिन हो तो में आजिज़ और नातुवां ठहरूँगा और आजिज़ी व नातुवानी ऐब है और में हर ऐब से पाक हूँ।
बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 58
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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