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Wednesday 20 June 2018

*_नमाज़ की फ़ज़ीलत अहादिष की रौशनी में_* #01


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हुज़ूरे अक़दस ﷺ ने सहाबा से दरयाफ़्त फ़रमाया : तुम ऐसे आदमी के बारे में क्या कहते हो जिसके घर के दरवाज़े पर एक नहर हो और वो हर दिन उस नहर में पांच मर्तबा गुस्ल करता हो क्या उस आदमी के बदन में किसी तरह की गन्दगी बाक़ी रहेगी ? सहाबा ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ﷺ ! ऐसे आदमी के जिस्म पर किसी तरह की गन्दगी बाक़ी नहीं रहेगी। इस और आप ने फ़रमाया यही मिसाल मंजवक्ता नमाज़ों की है, अल्लाह इसके ज़रिये बन्दों के गुनाहो को माफ़ फरमा देता है।
*✍🏼सहीह मुस्लिम*
     हुज़ूर ﷺ एक मर्तबा मौसम सर्मा (सर्दी के मौसम) में मदीने से बाहर तशरीफ़ ले गए, पतझड़ का मौसम था, दरख्तों के पत्ते झड़ रहे थे, आपने एक दरख्त की दो टहनियों को पकड़ा, (उन्हें हिलाया) पत्ते झड़ने लगे। आप ने फ़रमाया : ऐ अबू ज़र ! देखो ! जब कोई मुसलमान नमाज़ पढ़ता है और उसके ज़रिये अल्लाह की ख़ुशनूदी चाहता है तो उसके गुनाह उसी तरह झड़ जाते है जिस तरह इस दरख्त के पत्ते झड़ रहे है।
*✍🏼मुसन्दे अहमद बिन हम्बल*
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 15
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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