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Monday 4 June 2018

*फैज़ाने लै-लतुल क़द्र* #06
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
*_आह हमें क़द्र कहा ?_*
     अल्लाहु अकबर ! खुदाए रहमान अपने महबूब की उम्मत पर किस क़दर महेरबान है और उसने हम गुलामो पर  हमारे आक़ा के सदके किस क़दर अज़ीमुश्शान एहसान फ़रमाया के अगर शबे क़द्र में इबादत करले तो 1000 माह से भी ज़्यादा की इबादत का षवाब पा ले।
     मगर आह ! हमें शबे क़द्र की क़द्र कहा ! एक सहाबए किराम भी तो थे के उनकी हसरत पर हम सब को इतना बड़ा इनाम बैगेर किसी ख्वाहिश के मिल गया। उन्होंने तो इस की क़द्र भी की मगर हम ना क़द्रों को तो इबादत की फुरसत ही नही मिलती।
     आह ! हर साल मिलने वाले इस अज़ीमुश्शान इनाम को हम गफलत की नज़र कर देते है।
*✍🏼फैजाने सुन्नत 1133*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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