*हज़रते ज़ैनब बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ) की हिजरत और वफ़ात* : #46
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
दो जहां के सरदार हुज़ूरे अक़दस ﷺ की सब से बड़ी साहिबज़ादी हज़रते ज़ैनब रदिअल्लाहो तआला अन्हा ए'लाने नबुव्वत से दस साल पहले जब कि हुज़ूर ﷺ की उम्र शरीफ 30 बरस की थी पैदा हुई और ज़ाद भाई अबुल आस बिन रबीअ से साथ निकाह हुआ। हिज़रत के वक्त हुज़ूर ﷺ के साथ न जा सकीं, उन के खावन्द बद्र की लड़ाई में कुफ्फार के साथ शरीक हुवे और कैद हुवे।
अहले मक्का ने जब अपने कैदियों की रिहाई के लिये फिदिये इरसाल किये तो हज़रते ज़ैनब रदिअल्लाहो तआला अन्हो ने भी अपने खावन्द की रिहाई के लिये माल भेज जिस में वोह हार भी था जो हज़रते ख़दीजा रदिअल्लाहो तआला अन्हा ने जहेज़ में दिया था। नबिय्ये अकरम ﷺ ने जब उसको देखा तो ख़दीजा रदिअल्लाहो तआला अन्हा की याद ताज़ा हो गई। आबदीदा हुवे, सहाबा रदिअल्लाहो तआला अन्हुम के मश्वरे से यह क़रार पाया कि अबुल आस को बिला फिदया छोड़ दिया जाए इस शर्त पर कि वोह वापस जा कर हज़रते ज़ैनब रदिअल्लाहो तआला अन्हा को मदीना तैय्यबा भेज दे।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 117
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Monday 4 June 2018
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