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Tuesday 19 June 2018

*_नमाज़ की अहमिय्यत अहादिष की रौशनी में_* #05


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     हज़रत अब्दुल्लाह बिन उमर رضى الله عنه से मरवी, वो कहते है कि हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : उस आदमी का कोई ईमान नहीं जो अमानतदार न हो और उस आदमी की नमाज़ नहीं जिसकी तहारत दुरुस्त न हो और उस आदमी का कोई दीन नहीं जिसकी ज़िन्दगी में नमाज़ न हो। बेशक नमाज़ को दीन में वही मक़ाम हासिल है जो इंसानी जिस्म में सर को हासिल है।
*✍🏼अत्तरगिब् वत्तरहिब*

     खलीफए दोम हज़रत उमर फ़ारूक़ رضي الله عنه ने अपने सूबों (राज़्यों) के गवर्नरों के पास पैगाम भेजा कि तुम्हारे सब कामों में मेरे नज़्दीक अहम काम नमाज़ है जिसने उसकी हिफाज़त की और उसको अदा करता रहा उसने अपना दीन महफूज़ रखा और जिसने नमाज़ ज़ाए की वो और कामों को और भी ज़ाए करेगा।
*✍🏼सहीह बुखारी*
     यानी नमाज़ जिसे दीन के सुतून (खम्भे) का दर्जा दिया गया है और जिसे ईमान की निशानी व पहचान बताया गया है ये जानने के बावुजूद अगर कोई नमाज़ छोड़ दे तो ऐसे आदमी का क्या ऐतिबार कि वो और कौन कौन सी चीज़ों में गफलत और सुस्ती इख़्तियार करेगा ?
*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 14
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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