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Tuesday 19 June 2018

*अमीरे मुआविया के औसाफ़* #13


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*यज़ीद की गिरफ्त*
     हज़रते अमीरे मुआविया رضي الله عنه कोई ख़िलाफ़े शरीअत काम देख कर पसो पेश से काम न लेते थे और न ही अपने करीबी रिश्तेदार ओर अज़ीज़ों से इस मुआमले में नर्म रवय्या इख्तियार फरमाते बल्कि फौरन इस्लाह की कोशिश फरमाते।
     चुनान्चे एक दिन अमीरे मुआविया رضي الله عنه ने ये मन्ज़र देखा कि आप का बेटा यज़ीद अपने गुलाम को मार रहा है तो सख्त लहजे में इरशाद फरमाया: जान ले जितनी कुदरत तू इस गुलाम पर रखता है इससे ज़्यादा अल्लाह तुझ पर कुदरत रखता है, तेरा बुरा हो! तू ऐसे शख्स को मार रहा है जो तुझे रोकने की ताक़त नहीं रखता। अल्लाह की क़सम! में ताक़त व कुदरत के बा वुजूद कीना रखने वालों से इन्तिक़ाम लेने से रुका हुआ हूँ क्योंकि ताक़त के बा वुजूद मुआफ़ कर देना ही ज़्यादा बेहतर है।
     देखा आपने की अमीरे मुआविया رضي الله عنه अपने बेटे यज़ीद के खिलाफे शरीअत काम पर मुत्तलअ हुवे तो फौरन उसकी इस्लाह की कोशिश फ़रमाई ओर फिक्रे आख़िरत की तरग़ीब देते हुवे उसे अल्लाह के अज़ाब से डराया।
*✍फ़ैज़ाने अमीरे मुआविया* 58
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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