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Thursday 28 June 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #174


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*यूसुफ عليه السلام की पाकदामनी पर दलालत करने वाली अलामात*
     आप ज़ाहिर तौर पर उनके गुलाम थे गुलाम कभी इस किस्म की जुर्रत नहीं कर सकता कि अपने मालिक की ज़ौजा से ज़बरदस्ती बुराई का मुरकीब हो।
     अज़ीज़े मिस्र ओर उसके घर के दूसरे लोगों ने जबीह देख लिया था कि यूसुफ عليه السلام दरवाज़े से निकलने के लिये शदीद तौर पर दौड़ रहे थे तो उन्होंने बजी समझ लिया था कि बुराई को चाहने वाला खुद दौड़कर कभी नहीं निकला करता।
     उन लोगों ने यह भी देख लिया था कि इस औरत ने अपने आपको खुद आरास्ता किया हुआ है लेकिन यूसुफ عليه السلام आम लिबास में है उन्होंने समझ लिया था कि कौन किसे अपनी तरफ माइल कर रहा था।
     वह लोग युसूफ عليه السلام के हालात का एक तवील मुद्दत से मुशाहदा कर रहे थे आपकी आदत आपके अतवार उन से पोशीदा नहीं थे वह खुद ही समझ रहे थे कि युसूफ عليه السلام कभी बुराई का इरादा नहीं कर सकते।
     अज़ीज़े मिस्र नामर्द था औरत की जिंसी ख्वाहिशात उससे पूरी होना तो दरकिनार हासिल ही नहीं हो रही थी इन हालात के पेशे नज़र भी वाज़ेह हो रहा था कि मिलान औरतकी जानिब से था।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 136
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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