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Thursday 21 June 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #167


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*यूसफ़ عليه السلام नाज़ व नेअमत में*
     अज़ीज़े मिस्र ने आप عليه السلام की लौहे जबीन पर सआदत व निजाबत के नकुश देख लिए थे बड़ी मुहब्बत से घर लाया और अपनी बीवी से कहा की बड़ा प्यारा बच्चा मिल गया है इसके आराम व आसाइश का हर वक़्त ख्याल रखना इसकी किसी तरह दिल आज़ारी न हो। इसकी शक्ल व सूरत किसी शानदार मुस्तक़बिल की गम्माज़ी कर रही है। हो सकता हमारे लिये किसी दिन ये मुफीद साबात हो, या इसे अपना बेटा ही बनाले। उस औरत का नाम राइल था या ज़ुलैख़ा। यही दूसरा नाम ज़्यादा मशहूर है।
     ऐसे मुल्क के जहां किसी को यूसुफ عليه السلام के अज़ीम खानवादे का इल्म न था जिसे गुलामी की ज़ंजीरो में जकड़ कर मिस्र लाया गया था जिसे बेचने वाले भी एक भगोड़ा गुलाम तसव्वुर करते थे, फिर वह आम गुलामों की तरह मंडी में लाये गये ओर फरोख्त हुए उनके लिये इतनी इज़्ज़त व आसाइश के सामान मुहय्या फरमा देना, मिस्री ममलिकत के एक अज़ीम रईश के दिल मे उसके लिये पेदराना शफ़क़त बल्कि फ़ीदवियाना जज़्बा पैदा कर देना अल्लाह की ही हिकमते कामिला हो सकती है।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 131
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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