بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*यूसफ़ عليه السلام पर औरत का इल्ज़ाम*
जब औरत ने आपको अंदर बंद कर लिया तो आप ने आपने आपको गुनाहों से बचाने के लिये दरवाज़े की तरफ भागना शुरू कर दिया ताकि दरवाज़ा खोल कर बाहर निकल जाये, औरत ने पीछे भागने शुरू किया ताकि आपको पकड़ ले, आपको पकड़ने में तो कामयाब न हुई अलबत्ता आपकी क़मीज़ पीछे से उसने पकड़ ली चुकी आप दौड़ रहे थे तो आप की क़मीज़ पीछे से फट गई।
उसी दौरान औरत का खाविंद दरवाज़े पर पहुच गया वह तोहमत के डर से जल्दी से अपने ऐब को यूसुफ عليه السلام की तरफ मंसूब करने लगी कि यह तुम्हारी ज़ौजा से बुराई का इरादा रखता था इसलिये क़ैदख़ाने में भेज दो या सख्त सज़ा दो।
औरत को यूसुफ عليه السلام से चुकी शदीद मुहब्बत थी अगरचे उसने खुद बचने के लिये ऐब आप की तरफ मंसूब कर दिया लेकिन फिर भी आपकी रियायत रखी क़ैदख़ाने पहले ज़िक्र किया सख्त सज़ा बाद में, इसलिये कि मोहिब अपने महबूब को दर्द पहुंचाने की कोशिश नहीं करता।
फिर ऐसे कोई अल्फ़ाज़ नहीं ज़िक्र किये जिनसे पता चले कि उसने कहा हो कि इनको उम्र भर क़ैद रखो या बहुत लंबा अरसा क़ैद में रखो, बल्कि सिर्फ यह कहा कि क़ैदख़ाने में भेज दो। यानी मतलब यह था कि एक दो दिनों के बाद निकाल लेना।
*✍तज़किरतुल अम्बिया* 135
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Thursday 28 June 2018
*तज़किरतुल अम्बिया* #173
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