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Saturday 3 November 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #296


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

*हलाल माल में ही भलाई हैं*

     शोएब عليه السلام ने जब अपनी क़ौम को लोगों को चीजें घटाकर देने और ज़मीन में फ़साद फैलाने से मना किया तो साथ ही रिज़्के हलाल पर इफ्तेफ़ा करने की तरग़ीब भी दी। 

     इरशाद फरमायाः अल्लाह का दिया जो बच रहे वह बच रहे वह तुम्हारे लिये बेहतर हैं अगर तुम्हें यक़ीन हो और में कोई तुम पर निगहबान नहीं।

     आपके इरशाद का यह मक़सद था कि अगर तुगने नाप तौल में कभी न की, लोगों को उनके हुक़ुक़ पूरे दिये और किसी के माल में कमी न की तो जो माल तुम्हारे पास बचा रहेगा उसमें अल्लाह बर्कत अता फरमायेगा और रिज़्क़ का दरवाज़ा खोल देगा और रब की इताअत में जो अज़ीम सवाब हासिल होना है वह दुनिया के माल से क़दर व मन्ज़िल के लिहाज़ पर अज़ीम दर्जा रखेगा।

     यह बात समझ में उसे ही आ सकती है जिसे ईमान और यकीन हासिल हो, कि मौत भी आनी है और इस जहां के बगैर एक और जहां भी है जहां हिसाब व किताब होना है और सवाल भी हासिल होना है यकीन कामिल हो तो फिर यही इंसान बुराईयों से इज्तिनाब कर सकता है।

     और आप عليه السلام ने फरमाया कि मेरा काम सिर्फ तुम्हें भलाई की नसीहत करना है मैं तुम्हे बुराईयों के इर्तेकाब से मना करने की ताकत नहीं रखता। नीज़ अगर तुमने बुरे आमाल न छोड़े और उनकी नहूसत से तुम्हारी नेमतों का ज़वाल हो गया और माल व दौलत बर्बाद हो गया तो मैं तुम्हें नहीं बचा सकूंगा।

*✍️तज़किरतुल अम्बिया* 260

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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