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Saturday 3 November 2018

*जुमुआ की नमाज़ की फ़ज़िलतें*


بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْـمٰـنِ الرَّحِـيْـمِ

اَلصَّــلٰـوةُ وَالسَّــلَامُ  عَــلَـيْـكَ يَا رَسُــوْلَ اللّٰه ﷺ

     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: जिसने अच्छी तरह वुज़ू किया फिर जुमुआ की अदायगी के लिये आया, ख़ुत्बा सुना और ख़ुत्बा के दौरान खामोश रहा तो उसके उन गुनाहों की मगफिरत हो जाएगी जो उस जुमुआ और दूसरे जुमुआ के दर्मियान है और मज़ीद 3 दिन के गुनाह मुआफ़ किये जाएंगे।

*✍🏼अबू दाऊद* हदिष:1052

     हुज़ूर ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया: जुमुआ की नमाज़ कफ़्फ़ारा है उन गुनाहों के लिये जो उस जुमुआ और उसके बाद वाले जुमुआ के दर्मियान हों और 3 दिनों के और। ये इसलिये कि अल्लाह फ़रमाता है: जो एक नेकी करेगा उसके लिये उसका 10 गुना षवाब है।

*✍🏼अल-मोजमुल कबीर लित्तिबरानी* हदिष:3381

*✍🏼नमाज़ की अहमियत* 36

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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से, 

गर होजाए यक़ीन के.....

*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*

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