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Thursday 1 March 2018

दिल की दुन्या बदल गई* #02

*दिल की दुन्या बदल गई* #02
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
     खाने के बाद उस शख्स शराब के नशे में मस्त हो गया और उसकी कनीज़ ने हुक्म के मुताबिक़ गाना शुरू किया।
     ये सिलसिला काफी देर तक चलता रहा वो दोनों अपनी इन रंगीनियों में बदमस्त थे और में अपने रब के ज़िक्र में मश्गुल था। जब काफी देर हो गई और उसका नाश कुछ कम हुआ तो वो मेरी तरफ मुतवज्जेह हुवा और कहने लगा: क्या तूने वहले कभी इससे अच्छा गाना सुना है? मेने कहा में एक ऐसा कलाम सूना सकता हूँ जिसके मुक़ाबले में ये गाना कुछ हैसिय्यत नहीं रखता। उसने हैरान हो कर कहा क्या गानों से बेहतर भी कोई कलाम है? मेने कहा: हाँ! इससे बहुत बेहतर कलाम भी है। उसने कहा: अगर तुम्हारा दावा दुरुस्त है तो सुनाओ ज़रा हम भी तो सुने कि गानों से बेहतर क्या चीज़ है? मेने सुरतुत्तकासुर की तिलावत शुरू कर दी :
     जब धुप लपेटी जाए और जब तारे झड़ पड़ें और जब पहाड़ चलाए जाएं।
     में तिलावत करता जा रहा था और उसकी हालत तब्दील होती जा रही थी। उस की आँखोसे सेले अश्क रवां हो गया। बड़ी तवज्जोह व आजिज़ी के साथ वो कलाम इलाही को सुनता रहा। ऐसा लगता था की कलाम इलाही की तजल्लियाँ उस के सियाह दिल को मुनव्वर कर चुकी है, अब उसे इश्क हक़ीक़ी की लज़्ज़त से आशनाई होती जा रही थी। तिलावत करते हुए में जब इस आयत पर पहुंचा:
     और जब नामए आमाल खोले जाएं।
     तो उसने अपनी कनीज़ से कहा: जा मेने तुझे अल्लाह की खातिर आज़ाद किया।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 4
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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