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Monday 12 March 2018

*सोहबत किस की अपनाई जाए ?* #03
بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ
*4. गुमराह न हो*
     गुमराह की सोहबत अपनाने से खुद गुमराह और बद बख्त हो जाने का अन्देशा है, लिहाज़ा गुमराह शख्स इस बात का मुस्तहिक़ है कि उस से दूर रहा जाए और उस से कतए तअल्लुक कर दिया जाए ।
     गुमराह शख्स की सोहबत कैसे फाइदा दे सकती है जब कि खलीफए दुवुम अमीरुल मुअमिनिन हज़रते सय्यिदुना फारुके आ'ज़म رضى الله تعالى عنه ने दीनदार दोस्त तलाश करने की तरग़ीब दिलाई है। चुनान्चे, हज़रते सय्यिदुना सईद बिन मुसय्यब رحمة الله تعالى عليه  से मरवी है कि खलीफए दुवुम अमीरुल मुअमिनिन हज़रते सय्यिदुना उमर फारुके आ'ज़म رضى الله تعالى عنه ने फरमाया : "तुम्हे चाहिये कि ऐसा सच्चा दोस्त तलाश करो जिस के साए में ज़िन्दगी बसर कर सको क्यूंकि दोस्त खुश हाली के वक़्त ज़ीनत और तंगी के वक़्त उम्मीद होता है, अपने दोस्त के मुतअल्लिक हमेशा अच्छा गुमान रखो हत्ता की तुम्हारा गुमान गालिब आ जाए, अपने दुश्मन से दूर रहो और दोस्तो में सिवाए अमानतदार के सब से डरते रहो और अमानतदार वोही है जो अल्लाह तआला से डरता है, लिहाज़ा किसी फाजीर की सोहबत इख्तियार न करो वरना तुम भी फिस्क में मुब्तला हो जाओगे और फिस्क को अपने राज़ पर मुत्तलअ न करो बल्कि अपने मुआमलात में उन लोगो से मशवरा करो जो अल्लाह तआला से डरते है ।"

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍अच्छे माहोल की बरकतें* 17
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*​अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...​*
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