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Monday 5 March 2018

तज़किरतुल अम्बिया* #71

*तज़किरतुल अम्बिया* #71
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*नूह عليه السلام की क़ौम के ईमान न लाने की वजह*
     एक वजह यह थी के नूह عليه السلام को अपने जैसा बशर समझने लगे कि हमारे ही जैसा बशर कभी नबी नहीं बन सकता वह इससे बे खबर थे कि नबी को दो हालतें हासिल होती है। एक बशरी और दूसरी नूरानी। वह कहने लगे नबी तो फ़रिश्ता होना चाहिये।
     दूसरी वजह यह थी की हम आला और घटिया लोग एक ही मज़हब पर नहीं हो सकते।
     तीसरी वजह यह थी की तुम और तुम्हारे साथ ईमान लाने वाले हम पर ज़्यादा फ़ज़ीलत तो नहीं रखते। यानी नबी की शान समझने से क़ासिर रहे। नबी की अज़मत को न समझ सके और यह बात उन्हें न समझ आई कि रब के नज़्दीक किसी के माल व दौलत की ज़्यादती अफ़्ज़ल होने का सबब नहीं बल्कि ईमान और तक़्वा अफ़ज़लियत का सबब है। यही रब का सबब है।

*हज़रत नूह عليه السلام का जवाब*
     क्या तुम तअज्जुब करते हो के तुम्हारे रब ने तुम्ही में से एक आदमी के ज़रिये तुम्हे नसीहत दे, तुम्हे डराए ताकि तुम परहेज़गार बन जाओ ताकि तुम पर रहम किया जाए।
     आप ने उनके ईमान से इंकार की इस वजह का जवाब दिया कि "और में उन को निकालने वाला नहीं जो ईमान ले आये है बेशक वह अपने रब से मुलाक़ात करने वाले है अलबत्ता में तुम्हें देखता हूँ कि तुम ऐसी क़ौम हो जो हक़ीक़त से नावाफ़िक़ है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 68
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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