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Thursday 15 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #82
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत नूह عليه السلام*

*कितना अज़ीम तूफ़ान था?*
     जब तूफ़ान की इब्तेदा तन्नूर से हो चुकी तो आसमानों को पानी बरसाने का और ज़मीन को चश्मों से पानी निकालने का हुक्म दे दिया गया, आसमानों और ज़मीन के पानी ने मिलकर एक अज़ीम हौलनाक मंज़र पेश किया, अल्लाह ने फ़रमाया: हमने आसमानों के दरवाज़े खोल दिये ज़ोर के बहते पानी से और ज़मीन  के चश्मे करके बहा दिये तो दोनों पानी मिल गये इस मिक़दार पर जो मुक़द्दर थी।
     ज़मीन व आसमान के पानियों ने मिलकर इतनी शदीद तुगयानी बरपा कर दी कि मौज़े जब उठती तो बहुत बड़े बुलन्द पहाड़ो की तरफ नज़र आती। रब ने फ़रमाया: और वह (कश्ती) उन्हें लिये जा रही थी ऐसी मौजों में जैसे पहाड़।
     इस आयत की तफ़सीर में अल्लामा राज़ी رحمة الله عليه फ़रमाते है कि बुलन्दी उस वक़्त होती है जब हवा भी तेज़ और शदीद हो इससे पता चलता है कि शदीद बारिशों और ज़मीन के पानी छोड़ने के साथ शदीद आँधियाँ भी चल रही थी जिनसे उठने वाली मौजें पहाड़ो की चोटियों से बाते कर रही थी।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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