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Tuesday 6 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #72
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत नूह عليه السلام*

*अल्लाह के नबी की सफक़्त*
     नूह عليه السلام ने क़ौम को मुश्किलात से निकलने का जो तरीक़ा बताया उसका ज़िक्र अल्लाह के हुजूर करते है: तो में ने कहा अपने रब से माफ़ी मानगो वह बड़ा माफ़ करने वाला है तुम पर सराटे का मिना भेजेगा और माल और बेटों से तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हारे लिये बाग़ बना देगा और तुम्हारे लिए नहरे बनाएगा तुम्हे क्या हुआ अल्लाह से इज़्ज़त हासिल करने की उम्मीद नहीं करते?
     यानी आपने बताया कि तुम्हारी मुश्किलात का हल सिर्फ अल्लाह पर ईमान लाने उसको याद करने उससे डरने और उससे माफ़ी तलब करने में है। लेकिन क़ौम अपनी हठधर्मी पर उसी तरह क़ायम थी तकब्बुर इतना हद से बढ़ चूका था कि वह एक दूसरे को यही कह रहे थे: हरगिज़ न छोड़ना अपने खुदाओं को और हरगिज़ न छोड़ना सुवाअ और वगुस और युउक़् और नसर को (यह सब उनके बुतो के नाम है) और बेशक उन्होंने बहुतों को बहकाया।
     *फायदा* : हज़रत अबीअ बिन सबिह से मरवी है कि एक शख्स हज़रत हसन के पास आये उन्होंने क़हत साली की शिकायत की, आपने फ़रमाया अल्लाह से अस्तग़फ़ार करो। एक और शख्स ने अपनी गुरबत का ज़िक्र किया आपने उसे भी अस्तगफर करने को कहा। एक और शख्स ने कहा कि आप मेरे लिए दुआ करे की अल्लाह मुझे बेटा दे आप ने उसे भी अस्तग़फ़ार करने को कहा।
     हाज़रिन ने अर्ज़ किया कि शिकायत लोगों की मुख़्तलिफ़ थी लेकिन आपने सबको अमल एक ही बताया, आपने जवाब दिया कि हज़रत नूह عليه السلام ने अपनी क़ौम को सब मुश्किलात के हल के लिये अस्तग़फ़ार का ही हुक्म दिया था यानी यह अमल क़ुरआन से साबित है।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया* 69
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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