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Monday 12 March 2018

*वाकिआए में'राज* #17
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*जन्नत की सैर*
     इसके बाद आप ﷺ सिद्रतुल मुन्तहा पर तशरीफ़ लाए, इस बार इस पर मुख़्तलिफ़ रंग छा गए। रिवायत में है कि फरिश्तों ने अल्लाह से प्यारे आक़ा ﷺ की ज़ियारत करने की इजाज़त तलब की तो अल्लाह ने उन्हें इजाज़त अता फरमा दी। पस वो फ़रिश्ते सिद्र्ह पर छा गए ताकि हुज़ूर ﷺ की ज़ियारत का शरफ हासिल कर सकें।
     यहाँ से आप को जन्नत में लाया गया। इस में मोतियों की इमारतें थी और इस की मिटटी मुश्क थी, आप ﷺ ने यहाँ चार किस्म की नहरे देखि एक पानी की जो तब्दील नहीं होता, दूसरी दूध की जिस का ज़ायक़ा नहीं बदलता, तीसरी शराब की जिस्मे पिने वालों के लिये सिर्फ लज़्ज़त है (नशा बिलकुल नहीं) और चौथी पाकीज़ा और साफ़ सुथरे शहद की।
     इसके अनार जसामत में डालों की तरह और परन्दे ऊंटो की तरह थे, इसमें अल्लाह ने अपने नेक बन्दों के लिये ऐसे ऐसे इनामात तैयार कर रखे है, जिन्हें किसी आँख ने देखा न किसी कान ने सूना और न किसी इंसान के दिल में इस का ख़याल गुज़रा।

*नहरे कौसर पर तशरीफ़ आवरी*
     जन्नत की सैर के दौरान आप ﷺ एक नहर पर तशरीफ़ लाए जिसके किनारों पर जौफ़दार (अंदर से खाली किये हुवे) मोतियों के ख़ैमे थे और इसकी मिटटी खालिस मुश्क थी। आप ﷺ ने जिब्राइल से दरयाफ़्त फरमाया: ऐ जिब्राइल! ये क्या है? अर्ज़ किया: ये कौसर है जो आप के रब ने आप को अता फ़रमाई है।
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 39
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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