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Sunday 4 March 2018

*वाकिआए में'राज* #11
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*आसमान की तरफ उरूज* #01

*पहला आसमान*
     बैतूल मुक़द्दस के मुआमलात से फारिग होने के बाद प्यारे आक़ा ﷺ ने आसमान की तरफ सफर शुरू फ़रमाया और हर बुलन्दी को पस्त फ़रमाते हुवे तेज़ी से आसमान की तरफ बढ़े चले गए, आन की आन में पहला आस्मान आ गया।
     रिवकायत में है कि आप इसके एक दरवाज़े पर तशरीफ़ लाए जिसे "बाबुल हफ़ज़ह" कहा जाता है, इस पर इस्माइल नामी एक फ़रिश्ता मुक़र्रर है। जिब्राइल ने दरवाज़ा खुलवाना चाहा। पूछा कौन है? फ़रमाया जिब्राइल हूँ। पूछा आप के साथ कौन है? फ़रमाया मुहम्मद मुस्तफा ﷺ। पूछा क्या इन्हें बुलाया गया है? फ़रमाया हाँ। इस पर कहा गया खुश आमदीद! क्या ही अच्छा आने वाला आया है!!! फिर दरवाज़ा खोल दिया। जब आप ﷺ दरवाज़े से गुज़र कर आस्मान से ऊपर तशरीफ़ लाए तो देखा की हज़रते आदम عليه السلام तशरीफ़ फरमा है। जिब्राइल ने अर्ज़ किया ये आप के वालिद हज़रत आदम है, इन्हें सलाम फरमाइये। आप ﷺ ने सलाम कहा। उन्होंने जवाब दिया, फिर आप खुश आमदीद करते हुवे कहने लगे सालेह बेटे और सालेह नबी को खुश आमदीद।

*जन्नती व जहन्नमी अरवाह*
     हुज़ूर ﷺ ने आदम عليه السلام के दाएं बाएं कुछ लोगों को मुलाहज़ा फ़रमाया, जब आप عليه السلام अपनी दाई जानिब देखते तो हंस पड़ते है और जब बाई जानिब देखते तो रो पड़ते है। जिब्राइल ने अर्ज़ किया: इन के दाई और बाई जानिब जो ये सूरतें है ये इन की अवलाद है, दाई जानिब वाले जन्नती और बाई जानिब वाले जहन्नमी है।

बाक़ी अगली पोस्ट में..أن شاء الله
*✍🏼फ़ैज़ाने मेराज* 27
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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