*ताज़िमे इरशादे रसूल ﷺ*
36
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْم
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदिअल्लाहो तआला अन्हो हज़रते आइशा रदिअल्लाहो तआला अन्हा के भान्जे थे और वोह उन से बहुत महब्बत फरमाती थीं। उन्हों ने ही गोया भान्जे को पाला था। हज़रते आइशा रदिअल्लाहो तआला अन्हा की इस फय्याज़ी से परेशान हो कर कि खुद तकलीफें उठाती और जो आए फौरन खर्च कर देतीं एक मरतबा कह दिया कि खाला हाथ किस तरह रोकना चाहिये? हज़रते आइशा रदिअल्लाहो तआला अन्हा को भी यह फ़िकरा पहुंच गया। इस पर नाराज़ हो गई कि मेरा हाथ रोकना चाहता है और उन से न बोलने की नज़्र के तौर पर कसम खाई।
हज़रते अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदिअल्लाहो तआला अन्हो को खाला की नाराज़ी से बहुत सदमा हुवा, बहुत लोगों से सिफ़ारिश कराई मगर उन्हों ने अपनी कसम का उज़्र फ़रमा दिया।
आखिर जब अब्दुल्लाह बिन ज़ुबैर रदिअल्लाहो तआला अन्हो बहुत ही परेशान हुवे तो हुज़ूरे अक़दस के नन्हियाल के दो हज़रात को सिफ़ारिशी बना कर साथ ले गए, वोह दोनों हज़रात इजाज़त ले कर अन्दर गए, येह भी छुप कर साथ हो लिये, जब वोह दोनों से पर्दे के अंदर बैठ कर बात चीत फरमाने लगी तो येह जल्दी से पर्दे में चले गए और जा कर खाला से लिपट गए और बहुत रोए और खुशामद की, वोह दोनों हज़रात भी सिफ़ारिश करते रहे और मुसलमान से बोलना छोड़ने के मुताल्लिक़ हुज़ूर ﷺ के इर्शादात याद दिलाते रहे और अहादीश में जो मुमानअत इस की आई है वोह सुनाते रहे। जिस की वजह से हज़रते आइशा रदिअल्लाहो तआला अन्हा उनकी ताब न ला सकीं और रोने लगीं, आखिर मुआफ़ फ़रमा दिया और बोलने लगीं, लेकिन अपनी क़सम के कफ़्फ़ारे में बार बार गुलाम आज़ाद करती थीं हत्ता कि चालीस गुलाम आज़ाद किये और जब भी इस क़सम के तोड़ने का ख़याल आ जाता इतना रोतीं कि दुपट्टा तक आंसूओं से भीग जाता।
बाक़ी अगली पोस्ट में..ان شاء الله
*✍🏼सहाबएकिराम का इश्के रसूलﷺ* पेज 66
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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Monday 12 March 2018
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