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Friday 16 March 2018

*तज़किरतुल अम्बिया* #84
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
*हज़रत नूह عليه السلام*

*कश्ती चलना और मन्ज़िल पर पहुंचना*
     हज़रत नूह عليه السلام की कश्ती 10 रजब को चली और 10 मुहर्रम को जुदी पहाड़ पर लंगर अन्दाज़ हो गई। कश्ती 6 माह मुसलसल तूफ़ान में रही 10 मुहर्रम को तूफ़ान से नजात मिलने पर हज़रत नूह عليه السلام और आपकी क़ौम ने रोज़ा रखा।
     नूह عليه السلام ने खुद भी रोज़ा रखा और अपने साथ तमाम लोगो और वहशी जानवरों और दूसरे जानवरों को भी हुक्म दिया, सब ने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए रोज़ा रखा।
     नबी की अज़मत को जानवर तो जानते है, बेवकूफ लोग न जाने तो अपनी बदबख्ति का मातम करें।
     *फायदा* : मुसन्दे अहमद वगैरा में हज़रत अबू हुरैरा رضي الله عنه से मरवी है कि नबीए करीम ﷺ का एक मर्तबा यहूदी लोगों से गुज़र हुआ जिन्होंने आशूरा के दीन रोज़ा रखा हुआ था आपने फ़रमाया: यह रोज़ा क्यों रखा हुआ है? तो आपको बताया गया कि इस दिन अल्लाह ने मूसा عليه السلام और बनी इस्राइल को नजात दी और फ़िरऔन को ग़र्क़ किया और इसी दिन नूह عليه السلام और हज़रत मूसा عليه السلام ने अल्लाह का शुक्र अदा करने के लिये रोज़ा रखा, तो हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया कि में मूसा से ज़्यादा हक़ रखता हूँ कि इस दिन रोज़ा रखु। आप ﷺ ने खुद भी रोज़ा रखा और सहाबा को भी हुक्म दिया। ख्याल रहे कि ईसा عليه السلام की पैदाइश भी आशूरा के दिन ही हुई।
*✍🏼तज़किरतुल अम्बिया*
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मिट जाऐ गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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