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Monday 22 August 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआए* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दुआए मुस्तफा_*
     अल्लाह के प्यारे हबीबﷺ अक्सर ये दुआ भी माँगा करते थे :
*يَا مُقَلِّبَ الْقُلُوْبِ ثَبِّتْ قَلْبِىْ عَلٰى دِيْنِكَ*
यानी, ऐ दिलो के फेरने वाले ! मेरे दिल को अपने दिन पर क़ाइम रख।
*मिरआत, 1/109*

*_सोते वक़्त की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ بِاسْمِكَ اَمُوْتُ وَاَحْيَا*
यानी, ऐ अल्लाह ! में तेरे नाम के साथ ही मरता और जीत हु (यानी सोता और जागता हु)

*_नींद से बेदार होने के बाद की दुआ_*
*اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ  اَحْيَانَا بَعٍدَمَآ اَمَاتَنَا وَاِلَيْهِ*
तमाम तारीफे अल्लाह के लिये जिस ने हमें मौत (नींद) के बाद हयात (बेदारी) अता फ़रमाई और हमे उसी की तरह लौटना है।
*✍🏽सहीह बुखारी, 4/193*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 203*
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