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Monday 15 August 2016

मदनी पंजसुरह

*दुरुद शरीफ के मदनी फूल*
#01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     अल्लाह के हुक्म की तामील होती है।
     एक मर्तबा दुरुद पढ़ने वाले पर 10 रहमते नाज़िल होती है। उसके 10 दरजात बुलन्द होते है। उसके लिये 10 नेकिया लिखी जाती है। उसके 10 गुनाह मिटाए जाते है।
     दुरुद पढ़ना नबिय्ये रहमत की शफ़ाअत का सबब है।
     दुरुद पढ़ना गुनाहो की बख्शिश का बाइस है।
     दुरुद के ज़रिए अल्लाह बन्दे के गमो को दूर करता है।
     दुरुद पढ़ने के बाइस बन्दा क़यामत के दिन रसूले अकरम का कुर्ब हासिल करेगा।
     दुरुद तंगदस्ती के लिये सदक़ा के क़ाइम मक़ाम है।
     दुरुद क़ज़ाए हाजात का ज़रिया है।
     दुरुद अल्लाह की रहमत और फिरिश्तो की दुआ का बाइस है।
     दुरुद अपने पढ़ने वाले के लिये पाकीज़गी और तहारत का बाइस है।
     दुरुद से बन्दे को मौत से पहले जन्नत की खुश खबरी मिल जाती है।

बाक़ी अगली पोस्ट में... انشاء الله
*✍🏽जिलाउल अफहाम, 246*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 165*
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