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Thursday 4 August 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*_वाक़ीअए बीरे मुअव्वना_*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हज़रते अम्र बिन उमय्या ज़मरीرضي الله تعالي عنه को आमिर बिन तुफैल ने ये कह कर छोड़ दिया कि मेरी माँ ने एक गुलाम आज़ाद करने की मन्नत मानी थी इस लिये में तुम को आज़ाद करता हु, ये कहा और इन की चोटी का बाल काट कर इनको छोड़ दिया।
     हज़रते अम्रرضي الله تعالي عنه वहा से चल कर जब मक़ामे "क़र क़रह" में आए तो एक दरख्त के साए में ठहरे वही क़बीलए बनु किलाब के दो आदमी भी ठहरे हुए थे। जब वो दोनों सो गए तो हज़रते अम्र ने उन दोनों काफिरो को क़त्ल कर दिया और ये सोचकर दिल में ख़ुश हो रहे थे कि मेने सहाबए किराम के खून का बदला ले लिया है।
     मगर उन दोनों शख्सों को हुज़ूरﷺ अमान दे चुके थे जिस का हज़रते अम्रرضي الله تعالي عنه को इल्म न था। जब मदीना पहुच कर इन्होंने ने सारा हाल दरबारे रिसालत में बयान किया तो असहाबे बीरे मुअव्वना की शहादत की खबर सुन कर सरकारे रिसालतﷺ को इतना अज़ीम सदमा पहुचा कि तमाम उम्र शरीफ में कभी भी इतना रन्ज व सदमा नही पहुचा था।
     चुनांचे हुज़ूरﷺ महीना भर तक क़बाइले रअल व जक्वान और असिय्या व बनु लहयान पर नमाज़े फज्र में लानत भेजते रहे और हज़रते अमرضي الله تعالي عنه्र ने जिन दो शख्सों को क़त्ल कर दिया था हुज़ूरﷺ ने उन दोनों के खुंन बहा अदा करने का एलान फ़रमाया।
*✍🏽बुखारी, 1/136*
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 296*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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