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Tuesday 23 August 2016

मदनी पंजसुरह

*दिन व दुन्या की भलाइयों वाली दुआ* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_बैतूल खला में दाखिल होने से पहले की दुआ_*
*اَللّٰهُمَّ اِنِّىْ اَعُوْذُ بِكَ مِنَ الْخُبُثِ وَالْخَبَآئِثِ*
ऐ अल्लाह ! में नापाक जिन्न और जिन्नीयो से तेरी पनाह मांगता हु।
*सहीह बुखारी, 4/195*
चुकी पखाने में गंदे जिन्नात रहते है। इस लिये ये दुआ पढ़नी चाहिए।

*_बैतूल खला से बाहर आने के बाद की दुआ_*
اَلْحَمْدُ لِلّٰهِ الَّذِىْ اَذْهَبَ  عَنِّى الْاَذٰى وَعَافَانِىْ*
अल्लाह का शुक्र है जिसने मुझ से अज़िय्यत दूर की और मुझे आफिय्यत दी।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 204*

*नॉट :* जिन हजरात तो अरबी नही आती वो तर्जुमा याद करले और उसे पढ़े। और जो अरबी जानते है वो तर्जुमे को जहन में रखे ताकि पता चले की हम क्या पढ़ रहे है, ये दुआ में क्या है। अपनी मादरी ज़बान में दुआ पढ़ना बेहतर है।
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