#13
*_सूरतुल बक़रह, आयत ③/3_*
और हमारी दी हुई रोज़ी में से हमारी राह में उठाएं.
*तर्जुमह*
अल्लाह की राह में ख़र्च करने का मतलब यहा ज़कात है, जैसा दूसरी जगह फ़रमाया “युक़ीमूनस सलाता व यूतूनज़ ज़काता” (यानी नमाज़ क़ायम करते हैं और ज़कात अदा करते है),
या हर तरह का दान पुण्य मुराद है चाहे फ़र्ज़ हो या वाजिब, जैसे ज़कात, भेंट, अपनी और अपने घर वालों की गुज़र बसर का प्रबन्ध. जो क़रीबी लोग इस दुनिया से जा चुके हैं उनकी आत्मा की शान्ति के लिये दान करना भी इसमें आ सकता है.
बग़दाद वाले पीर हुज़ूर ग़ौसे आज़म की ग्यारहवीं की नियाज़, फ़ातिहा, तीजा चालीसवां वग़ैरह भी इसमें दाख़िल हैं कि ये सब अतिरिक्त दान हैं.
क़ुरआन शरीफ़ का पढ़ना और कलिमा पढ़ना नेकी के साथ अतिरिक्त नेकी मिलाकर अज्र और सवाब बढ़ाता है.
क़ुरआन शरीफ़ में इस तरफ़ ज़रूर इशारा किया गया है कि अल्लाह की राह में ख़र्च करते वक्त़, चाहे अपने लिये हो या अपने क़रीबी लोगों के लिये, उसमें बीच का रास्ता अपनाया जाए, यानी न बहुत कम, न बहुत ज्यादा.
“रज़क़नाहुम” (और हमारी दी हुई रोज़ी में से) में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि माल तुम्हारा पैदा किया हुआ नहीं, बल्कि हमारा दिया हुआ है. इसको अगर हमारे हुक्म से हमारी राह में ख़र्च न करो तो तुम बहुत ही कंजूस हो और ये कंजूसी बहुत ही बुरी है.
___________________________________
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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या हर तरह का दान पुण्य मुराद है चाहे फ़र्ज़ हो या वाजिब, जैसे ज़कात, भेंट, अपनी और अपने घर वालों की गुज़र बसर का प्रबन्ध. जो क़रीबी लोग इस दुनिया से जा चुके हैं उनकी आत्मा की शान्ति के लिये दान करना भी इसमें आ सकता है.
बग़दाद वाले पीर हुज़ूर ग़ौसे आज़म की ग्यारहवीं की नियाज़, फ़ातिहा, तीजा चालीसवां वग़ैरह भी इसमें दाख़िल हैं कि ये सब अतिरिक्त दान हैं.
क़ुरआन शरीफ़ का पढ़ना और कलिमा पढ़ना नेकी के साथ अतिरिक्त नेकी मिलाकर अज्र और सवाब बढ़ाता है.
क़ुरआन शरीफ़ में इस तरफ़ ज़रूर इशारा किया गया है कि अल्लाह की राह में ख़र्च करते वक्त़, चाहे अपने लिये हो या अपने क़रीबी लोगों के लिये, उसमें बीच का रास्ता अपनाया जाए, यानी न बहुत कम, न बहुत ज्यादा.
“रज़क़नाहुम” (और हमारी दी हुई रोज़ी में से) में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि माल तुम्हारा पैदा किया हुआ नहीं, बल्कि हमारा दिया हुआ है. इसको अगर हमारे हुक्म से हमारी राह में ख़र्च न करो तो तुम बहुत ही कंजूस हो और ये कंजूसी बहुत ही बुरी है.
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