हिस्सा-57
*_सूरए बक़रह, पारह 01_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*आयत ⑤⑥, तर्जुमह*
फिर उठाया हमने तुम्हे बाद तुम्हारी मौत के, के अब शुक्रगुज़ार हो।
*तफ़सीर*
तुम तो इस क़बिल न थे के तुम पर तरस खाया जाता। मगर हज़रते मूसा को ख़याल आया के यहाँ से तन्हा क़ौम के पास जा कर क्या सूरत होगी ? उन्होंने इनकार की काफिराना धमकी का कुछ ख्याल न किया और रहमसे काम लेकर हाथ उठा कर दुआ की। ये दुआ मक़बूल बन्दे की दुआ थी। चुनांचे क़ुबूल हुई।
फिर क्या था ? हज़रते मूसा के कहने से ज़िन्दा खड़ा कर दिया हमने तुमको बाद तुम्हरी मौत के, के बिलकुल मर चुके थे। हिकमत ये थी के अभी तक नेअमत की ना शुक्रि करते रहे हो, तो अब किसी तरह शुक्रगुज़ार हो जाओ।
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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*DEEN-E-NABI ﷺ*
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