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Friday 19 August 2016

फुतूह अल ग़ैब

*अवामिर की ताअमिल(एहकाम) और नवाहीसे इजतिनाब (परहेज):*
(हिस्सा 3)

*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
     
       ख़ुशनूदीए हक तआला के लिए मुसिबतको भी नेअमत समजो, और बेहरे तस्लीम व् रज़ा में गर्क हो जाओ। इस अमलके नतीजे में तुम्हे खुदाकी इताअत और मवालत (आपस की दोस्ती) के रास्तों और मंज़िलोकी सैर कराई जायेगी और तुम्हे सिद्दीकीन, शोहदाअ और सलेहीनके खास मकामात पर फाइज़ कर दिया जाएगा।
      ताके जो लोग तुमसे पेहले कुर्बे खुदावन्दी की नेअमतोसे फ़ैज़याब हो चुके हैं, उनका मुशाहेदा कर सको। *ये वही लोग हैं जिन्हें ज़िक्रके बाइस करामते , नेअमते, अमन और मसर्रत मिल चुकी है।*

बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह
*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 29
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खादिमे दिने नबी ﷺ
 *फ़ैयाज़ सैय्यिद*
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