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Saturday 8 April 2017

*वुज़ू का तरीका* #01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

★ काबतुल्लाह शरीफ की तरफ मुह करके उची जगह बैठना मुस्तहब है।

★ वुज़ू के लिये निय्यत करना सुन्नत है, निय्यत न हो तब भी वुज़ू हो जाएगा मगर षवाब न मिलेगा।

★ निय्यत दिल के इरादे को कहते है। दिल में निय्यत होते हुए ज़बान से भी कहलेना अफ़्ज़ल है लिहाज़ा ज़बान से इस तरह निय्यत कीजिये की
● में हुक्मे इलाही बजा लाने और पाकी हासिल करने के लिये वुज़ू कर रहा/रही हु।

★ बिस्मिल्लाह कह लीजिये की ये भी सुन्नत है।
√ बल्कि बिस्मिल्लाहि-वलहम्दु-लिल्लाह" कह लीजिये की जब तक बा वुज़ू रहेंगे फ़रिश्ते नेकियां लिखते रहेंगे।

★ अब दोनों हाथ 3-3 बार पहोचो तक धोइये,
★ दोनों हाथो की उंगलियो का ख़िलाल भी कीजये।
★ कम अज़ कम 3 बार मिस्वाक कीजिये और हर बार मिस्वाक को धो लीजिये।

     हज़रत मुहम्मद ग़ज़ालि अलैरहमा फरमाते है : मिस्वाक करते वक़्त नमाज़ में क़ुरआने मजीद की किरआत और ज़िकृल्लाह के लिये मुह पाक करने की निय्यत करनी चाहिये।
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 8*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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