*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #190
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_सूरतुल बक़रह, आयत ②⑤④_*
ऐ ईमान वालो अल्लाह की राह में हमारे दिये में से ख़र्च करो वह दिन आने से पहले जिसमें न ख़रीद फ़रोख़्त (क्रय.विक्रय) है न काफ़िरों के लिये दोस्ती और न शफ़ाअत (सिफ़ारिश) और काफ़िर ख़ुद ही ज़ालिम हैं.
*तफ़सीर*
कि उन्होंने दुनिया की ज़िन्दगानी में हाजत के दिन यानी क़यामत के लिये कुछ न किया.
*___________________________________*
मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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ऐ ईमान वालो अल्लाह की राह में हमारे दिये में से ख़र्च करो वह दिन आने से पहले जिसमें न ख़रीद फ़रोख़्त (क्रय.विक्रय) है न काफ़िरों के लिये दोस्ती और न शफ़ाअत (सिफ़ारिश) और काफ़िर ख़ुद ही ज़ालिम हैं.
*तफ़सीर*
कि उन्होंने दुनिया की ज़िन्दगानी में हाजत के दिन यानी क़यामत के लिये कुछ न किया.
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
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