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Friday 7 April 2017

*दुगना षवाब*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     यकीनन सर्दी, थकान या नज़ला, ज़ुकाम, दर्दे सर और बिमारी में वुज़ु करना दुष्वार होता है।
     मगर फिर भी कोई ऐसे वक़्त वुज़ु करे जब के वुज़ु करना दुष्वार हो तो उसको बी हुक्मे हदिष दुगना षवाब मिलेगा।

*_सर्दी में वुज़ु करने की हिकायत_*
     हज़रते उष्माने गनी رضي الله تعالي عنه ने अपने गुलाम हुमरान् से वुज़ु के लिए पानी मांगा और सरदी की रात में बहार जाना चाहते थे।
     हुमरान् कहते है : में पानी लाया, उन्होंने मुह हाथ धोये तो मेने कहा अल्लाह पाक आप को किफायत करे रात तो बहुत ठंडी है।
     इस पर आप ने फ़रमाया मेने रसूलुल्लाह ﷺ से सुना है की "जो बंदा वुजुए कामिल करता है अल्लाह उसके अगले पिछले गुनाह बख्श देता है"
*✍🏽बहारे शरीअत, जी. 1, स. 285*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, स. 7*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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