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Saturday 1 April 2017

*रजब की बहारे* #02
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     मकाशफतुल कुलूब में है कि रजब दर असल तरजिब से मुश्तक़ (यानि निकला) है, इसके माना है : ताज़ीम करना।
     इसको अल असब (यानि सब से तेज़ बहाव) भी कहते है, इस लिये इस माहे मुबारक में तौबा करने वालो पर रहमत वालो पर रहमत का बहाव तेज़ हो जाता है और इबादत करने वालो पर क़बूलिय्यत के अन्वार का फैजान होता है।
     इस अल असम्म (यानि खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इसमें जंगो बदल की आवाज़ बिलकुल सुनाई नहीं देती और इसे रजब भी कहा जाता है कि जन्नत की एक नहर का नाम "रजब" है जिस का पानी दूध से ज्यादा सफेद, शहद से ज्यादा मीठा और बर्फ से ज्यादा ठंडा है, इस नहर से वोही शख्स पानी पियेगा जो रजब के महीने में रोज़े रखेगा।

     गुन्यतूत्तालिबिन में है कि इस माह को "शहरे रजम" भी कहते है क्यू की इस में शैतानो को रजम यानी संग सार किया जाता है ताकि वो मुसलमानो को इज़ा न दे।
     इस माह को असम्मा (खूब बहरा) भी कहते है क्यू की इस माह में किसी क़ौम पर अल्लाह तआला के अज़ाब के नाज़िल होने के बारे में नहीं सुना गया,
     अल्लाह عزوجل ने गुज़श्ता उम्मतों को हर महीने में अज़ाब दिया और इस माह में किसी क़ौम को अज़ाब न दिया।
*✍🏽रजब की बहारे, सफा 3*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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