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Tuesday 25 April 2017

*बे वुज़ू क़ुरआने मजीद को कही से भी नहीं छू सकते*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     बे वुज़ू आयत को छूना तो खुद ही हराम है अगर्चे आयत किसी और किताब में लिखी हो, मगर क़ुरआने मजीद के सादा हाशिया बल्कि पुठ्ठे बल्कि चिली (यानि जो कपड़ा या चमड़ा गत्ते के साथ चिपका या सिला हो उस) का भी छूना हराम है.

     हा जुज़दान में हो तो जुज़दान को हाथ लगा सकते है।

     बे वुज़ू अपने सीने से भी मुसहफ शरीफ को मस नहीं कर सकता। बे वुज़ू की गरदन पर लंबी चादर का एक कपड़ा पड़ा हुवा है और वो उसके दूसरे कोने को हाथ पर रख कर मुसहफ शरीफ छूना चाहे और अगर चादर इतनी लंबी है की उस शख्स के उठने बैठने से दूसरे गोशे (यानि कोने) तक हरकत न पहोचेगी तो जाइज़ है वरना नहीं।
*✍🏽फतावा राज़वीय्या मुखर्रजा, 4/724-725*
*✍🏽नमाज़ के अहकाम, सफा 37*
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मिट जाये गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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