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Sunday 2 April 2017

*फैज़ाने इसाले षवाब* #03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_दुआओ की बरकत_*
     मदीने के ताजदार का फरमान है : मेरी उम्मत गुनाहो समेत क़ब्र में दाखिल होगी और जब निकलेगी तो बे गुनाह होगी क्यू की वो मुअमिनीन की दुआओ से बख्श दी जाती है।
*✍🏽अल-मुअजमुल वुसअत, 1/509, हदिष:1879*

*_इसाले षवाब का इन्तिज़ार !_*
     सरकारे नामदार का इरशाद है : मुर्दे का हाल क़ब्र में डूबते हुए इन्सान की मानिन्द है की वो शिद्दत से इन्तिज़ार करता है की माँ बाप, भाई या किसी दोस्त की दुआ उस को पहुचे और जब किसी की दुआ उसे पहुचती है तो उस के नज़्दीक वो दुन्या और दुन्या में जो कुछ है उस से बेहतर होती है। अल्लाह क़ब्र वालो को उन के ज़िन्दा मुतअल्लिक़न की तरफ से हदीया किया हुवा षवाब पहाड़ो की मानिन्द अता फ़रमाता है, ज़िन्दों का हदीया (तोहफा) मुर्दो के लिये "दुआए मगफिरत करना है।"
*✍🏽शोएबुल ईमान, 6/203, हदिष:7905*

*_दुसरो के लिये दुआए मग्फिरत करने की फ़ज़ीलत_*
    जो कोई तमाम मोमिन मर्दों और औरतो के लिये दुआए मग्फिरत करता है, अल्लाह उस के लिये हर मोमिन मर्द व औरत के एवज़ एक नेकी लिख देता है।
*✍🏽मजमउ ज़वाइद, 10/352, हदिष:17598*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 398*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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