*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #182
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④③_*
ऐ मेहबूब क्या तुमने न देखा था उन्हें जो अपने घरों से निकले और वो हज़ारों थे मौत के डर से तो अल्लाह ने उनसे फ़रमाया मर जाओ फिर उन्हें ज़िन्दा फ़रमाया बेशक अल्लाह लोगों पर फ़ज़्ल (कृपा) करने वाला है मगर अकसर लोग नाशुक्रे हैं.
*तफ़सीर*
बनी इस्त्राईल की एक जमाअत थी जिसकी बस्तियों में प्लेग हुआ तो वो मौत के डर से अपनी बस्तियाँ छोड़ भागे और जंगल में जा पड़े. अल्लाह का हुक्म यूं हुआ कि सब वहीं मर गए. कुछ अर्से बाद हज़रत हिज़क़ील अलैहिस्सलाम की दुआ से उन्हें अल्लाह तआला ने ज़िन्दा फ़रमाया और वो मुद्दतों ज़िन्दा रहे. इस घटना से मालूम होता है कि आदमी मौत के डर से भागकर जान नहीं बचा सकता तो भागना बेकार है. जो मौत निश्चित है, वह ज़रूर पहुंचेगी. बन्दे को चाहिये कि अल्लाह की रज़ा पर राज़ी रहे. मुजाहिदों को समझना चाहिये कि जिहाद से बैठ रहना मौत को रोक नहीं सकता. इसलिये दिल मज़बूत रखना चाहिये.
*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④④_*
और लड़ों अल्लाह की राह में और जान लो कि अल्लाह सुनता जानता है ,
*तफ़सीर*
और मौत से न भागे, जैसा बनी इस्त्राईल भागे थे, क्योंकि मौत से भागना काम नहीं आता.
*___________________________________*
मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
*___________________________________*
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④③_*
ऐ मेहबूब क्या तुमने न देखा था उन्हें जो अपने घरों से निकले और वो हज़ारों थे मौत के डर से तो अल्लाह ने उनसे फ़रमाया मर जाओ फिर उन्हें ज़िन्दा फ़रमाया बेशक अल्लाह लोगों पर फ़ज़्ल (कृपा) करने वाला है मगर अकसर लोग नाशुक्रे हैं.
*तफ़सीर*
बनी इस्त्राईल की एक जमाअत थी जिसकी बस्तियों में प्लेग हुआ तो वो मौत के डर से अपनी बस्तियाँ छोड़ भागे और जंगल में जा पड़े. अल्लाह का हुक्म यूं हुआ कि सब वहीं मर गए. कुछ अर्से बाद हज़रत हिज़क़ील अलैहिस्सलाम की दुआ से उन्हें अल्लाह तआला ने ज़िन्दा फ़रमाया और वो मुद्दतों ज़िन्दा रहे. इस घटना से मालूम होता है कि आदमी मौत के डर से भागकर जान नहीं बचा सकता तो भागना बेकार है. जो मौत निश्चित है, वह ज़रूर पहुंचेगी. बन्दे को चाहिये कि अल्लाह की रज़ा पर राज़ी रहे. मुजाहिदों को समझना चाहिये कि जिहाद से बैठ रहना मौत को रोक नहीं सकता. इसलिये दिल मज़बूत रखना चाहिये.
*_सूरतुल बक़रह, आयत ②④④_*
और लड़ों अल्लाह की राह में और जान लो कि अल्लाह सुनता जानता है ,
*तफ़सीर*
और मौत से न भागे, जैसा बनी इस्त्राईल भागे थे, क्योंकि मौत से भागना काम नहीं आता.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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