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Tuesday 2 August 2016

तफसीरे अशरफी


हिस्सा-54
*_सूरए बक़रह, पारह 01_*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*आयत ⑤③, तर्जुमह*
और जबकि दी हमने मूसा को किताब और हक़-नाहक़ का इम्तियाज़, के तुम लोग अब राहे रास्ता पर आ जाओ।

*तफ़सीर*
     ऐ यहूदियो ! इस सिलसिले में उस वाक़या को याद करो जब के दी थी हमने कोहे तुर पर बुला कर मूसा को किताब तौरेत, जिसमे हिदायत व गुमराही की तफ़सील है और हक़ नाहक़ का फर्क है के अभी तक तुम लोग भटकते रहे हो, तो अब राहे रास्ता पाकर इस पर आ जाओ।
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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