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Monday 18 July 2016

बुग्ज़ व किना

*खुलासए किताब*
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

✳किना मोहलिक बातिन मर्ज़ है और इस के बारे में जानना फ़र्ज़ है।
✳किना ये है की इन्सान अपने दिल में किसी को बोझ जाने, उससे दुश्मनी व बुग्ज़ रखे, नफरत करे और केफिय्यत हमेशा रहे।
✳किसी मुसलमान से बिला वजहे शरई किना रखना हराम है।
✳किसी ज़ालिम से किना रखना जाइज़ जब की बद मजहब व काफ़िर से किना रखना वाजिब है।

*किना रखने वाले को इन नुक्सानात का सामना होगा*
     दोज़ख में दाखिला, बख्शीश से महरूमी, शबे क़द्र में भी महरूम रहता है, जन्नत की खुशबु भी न पाएगा, ईमान बर्बाद होने का खतरा है, दुआ क़बूल नही होती, दीगर गुनाहो का दरवाज़ा खुल जाता है, उसे सुकून नसीब नही होता, सहाबए किराम, सादाते उज़्ज़ाम, उल्माए किराम से बुग्ज़ व किना रखना ज़्यादा बुरा है।

*किने का इलाज*
✅ईमान वालो के किने से बचने की दुआ कीजिये।
✅किने के अस्बाब (गुस्सा, बाद गुमानी, शराब नोशी, जुआ वगैरा) दूर कीजिये।
✅सलाम व मूसाफहा की आदत बना लीजिये।
✅बे जा सोचना छोड़ दीजिये।
✅मुसलमानो से अल्लाह की रिज़ा के लिये महब्बत कीजिये।
✅दुनयावी चीज़ों की सजह से बुग्ज़ व किना रखने के नुक्सानात पर गौर कीजिये।
*✍🏽बुग्ज़ व किना 78*
*📝मुकम्मल*
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