*सूरए मुल्क के फ़ज़ाइल*
हिस्सा-03
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि एक सहाबी ने एक क़ब्र पर अपना खैमा लगाया मगर उन्हें इल्म न था कि यहाँ क़ब्र है लेकिन बाद में पता चला कि वहा किसी शख्स की क़ब्र है जो सूरए मुल्क पढ़ रहा है और उस ने पूरी सूरत खत्म की, वो सहाबी हुज़ूरﷺ की बारगाह में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! में ने एक क़ब्र पर खैमा तान लिया मगर मुझे मालुम न था की वहा क़ब्र है जब की वहा एक शख्स की क़ब्र है जो रोज़ाना पूरी सूरतुल मुल्क पढ़ता है। तो रसूलल्लाहﷺ ने फ़रमाया : यही रोकने वाली है, यही नजात दिलाने वाली है जिस ने उसे अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रखा।
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/407*
हुज़ूरे अक़्दसﷺ का फरमाने आलिशान है कि मेरी ख्वाहिश है कि सूरए मुल्क हर मोमिन के दिल में हो।
*✍🏽कन्जुल उम्माल 1/291*
*✍🏽मदनी पंजसुरह 84*
___________________________________
📮Posted by:-
*DEEN-E-NABI ﷺ*
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हज़रते इब्ने अब्बासرضي الله تعالي عنه फरमाते है कि एक सहाबी ने एक क़ब्र पर अपना खैमा लगाया मगर उन्हें इल्म न था कि यहाँ क़ब्र है लेकिन बाद में पता चला कि वहा किसी शख्स की क़ब्र है जो सूरए मुल्क पढ़ रहा है और उस ने पूरी सूरत खत्म की, वो सहाबी हुज़ूरﷺ की बारगाह में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया : या रसूलल्लाहﷺ ! में ने एक क़ब्र पर खैमा तान लिया मगर मुझे मालुम न था की वहा क़ब्र है जब की वहा एक शख्स की क़ब्र है जो रोज़ाना पूरी सूरतुल मुल्क पढ़ता है। तो रसूलल्लाहﷺ ने फ़रमाया : यही रोकने वाली है, यही नजात दिलाने वाली है जिस ने उसे अज़ाबे क़ब्र से महफूज़ रखा।
*✍🏽तिर्मिज़ी 4/407*
हुज़ूरे अक़्दसﷺ का फरमाने आलिशान है कि मेरी ख्वाहिश है कि सूरए मुल्क हर मोमिन के दिल में हो।
*✍🏽कन्जुल उम्माल 1/291*
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