Pages

Sunday 24 July 2016

फुतूह अल ग़ैब

*एअतेराफे तकसीर और इस्तिगफार*
(हिस्सा...5)
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     हुज़ूरﷺ को कुर्बकी मंज़िलो और गैब के मेदानो की सैर कराइ जाती थी और आपकी नूरानी खिलअतें तब्दील होती रेहती थी और हर नइ हालत बेहतर और रोशन होति थी और पेहली हालत में रवद अदबकी हिफाज़त करनेमें नुक्शान ज़ाहिर होता था।
     आपﷺ को इस्तिगफारकी तालीम दी जाती थी और बन्दे के लिय इस्तिगफारकी हालत सबसे बेहतर है। क्यों के इस तहर बन्दा कुसूरका एअतेराफ करता है और तौबा व इस्तिगफार बन्दे की दोनों सिफते अबुल बशर हज़रते आदम की मीरास (विरसा) है।
    जब एहद-व-पयमान भूल जाने और जन्नतमें हंमेशा रेहने, रेहमान व मन्नान मेहबूब की हमसायगी और अपने सामने मलाएका की तहयत (दुआ) व-सलाम की हाज़रीकी ख्वाहिशने उनकी हालतकी खूबियों पर परदा डाल दिया और खुदाके इरादेके बजाए उनकी अपनी ख्वाहिश ज़ाहिर हो गइ तो उनका शिकस्ता हो गया और उनकी पेहली हालत तबदील कर के उनकी विलायत माअज़ूल (मौकूफ) कर दी गइ।
     उनकी वो मंज़िलत न रही और उनकी हालते अनवार को मकद्दर (मेला) कर दिया गया। फिर खुदाने उन्हें मतनबह (खबरदार, आगाह) किया। उन्हें अपनी पाकिज़गी याद आइ और उन्हें एअतेराफकी तालीम और इकदारकी तल्कीन की गई।
     इस वक्त हज़रत आदमने अलैहिस्सलामने कहा – अय हमारे रब ! हमने अपने नफ्स पर ज़ुल्म किया अगर तू हमें माफ नहीं फरमाएगा तो हम खसारे में (नुक्सानमें) रेह जाएंगे। - फिर अन्वारे हिदायत, उलूमे तौबा और इसके गवामिज़ (भेद)-व-मसालह और जो चीज़ें उंनशे पोशीदा थीं और अभी ज़ाहीर ही न हुइ थीं, हजरत आदम अलैहिस्सलाम को दे दी गई। उनके इरादोंको खुदा तआलाने अपने इरादों में तब्दील कर दिय।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*फुतूह अल ग़ैब, सफा,16* ___________________________________
📮Posted by:-
*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
💻JOIN WHATSAPP
📲+91 903 350 3799
📧facebook.com/deenenabi
📧Deen-e-nabi.blogspot.in

No comments:

Post a Comment