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Tuesday 2 August 2016

सिरते मुस्तफाﷺ


*_वाक़ीअए बीरे मुअव्वना_*
हिस्सा-01
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

     माहे सफर सि.4 हि. में "बीरे मुअव्वना" का मशहूर वाक़या पेश आया। अबू बराअ आमिर बिन मालिक जो अपनी बहादुरी की वजह से "बरछियो से खेलने वाला" कहलाता था, बारगाहे रिसालत में आया, हुज़ूरﷺ ने उस को इस्लाम की दावत दी, उस ने न तो इस्लाम क़बूल किया न इस से कोई नफरत ज़ाहिर की बल्कि ये दरख्वास्त की, कि आप अपने चन्द मुन्तख़ब सहाबा को हमारे दीयार में भेज दीजिये मुझे उम्मीद है कि वो लोग इस्लाम की दावत क़बूल कर लेंगे।
     आपﷺ ने फ़रमाया कि मुझे नज्द के कुफ्फार की तरफ से खतरा है। अबू बराअ ने कहा कि में आप के असहाब की जान व माल की हिफाज़त का ज़ामिन हु।
     इसके बाद हुज़ूरﷺ ने सहाबा में से 70 मुन्तख़ब सालिहीन को जो "कुर्रा" कहलाते थे भेज दिया। ये हज़रात जब मक़ामे "बीरे मुअव्वना" पर पहुचे तो ठहर गए और सहाबा के काफिला सालार हज़रते हिराम बिन मल्हानرضي الله تعالي عنه हुज़ूरﷺ का खत ले कर आमिर बिन तुफैल के पास अकेले तशरीफ़ ले गए जो क़बीले का रईस और अबू बराअ का भतीजा था। उसने खत को पढ़ा भी नही और एक शख्स को इशारा कर दिया जिसने पीछे से हज़रते हिरामرضي الله تعالي عنه को नेजा मार कर शहीद कर दिया।
    और आस पास के क़बाइल यानी रअल व जक्वान और असिय्या व बनू लहयान वगैरा को जमा करके एक लश्कर तैयार कर लिया और सहाबए किराम पर हमले के लिये रवाना हो गया।

बाक़ी कल की पोस्ट में..इन्शा अल्लाह
*✍🏽सिरते मुस्तफा, 294*
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खादिमे दिने नबी ﷺ *मुहम्मद मोईन*
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