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Wednesday 6 July 2016

सिरते मुस्तफा ﷺ


*​जंगे उहूद*​
*بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_​​सहाबा का जोशे जां निषार​_*​
हिस्सा-03
हज़रते क़तादा बिन नोमान अंसारी رضي الله تعالي عنه हुज़ूर ﷺ के चेहरए अन्वर को बचाने के लिये अपना चेहरा दुश्मनो के सामने किए हुए थे। ना गहा काफिरो का एक तीर इन की आँख में लगा और आँख बह कर इनके रुखसार पर आ गई। हुज़ूर ﷺ ने अपने दस्ते मुबारक से उन की आँख को उठा कर आँख के हल्के में रख दिया और यु दुआ फ़रमाई कि
*या अल्लाह ! क़तादा की आँख बचा ले जिस ने तेरे रसूल के चेहरे को बचाया है*
मश्हूर है कि उन की वो आँख दूसरी आँख से ज़्यादा रोशन और खूब सूरत हो गई।

हज़रते साद बिन अबी वक़्क़ास رضي الله تعالي عنه भी तीर अंदाज़ी में इन्तिहाई बा कमाल थे। ये भी हुज़ूर ﷺ की मुदाफअत में जल्दी जल्दी तीर चला रहे थे और हुज़ूर ﷺ खुद अपने दस्ते मुबारक से तीर उठा उठा कर इनको देते थे और फरमाते थे कि ऐ साद ! तीर बरसाते जाओ तुम पर मेरे माँ बाप क़ुर्बान।
*✍🏽सिरते मुस्तफा 274*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*​
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