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Tuesday 21 March 2017

*जमाअत छोड़ने की सजा* #02/08
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*नमाज़ की फर्जीयत*
     मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ❗जमाअत छूट जाने के बाद अगर कोई 27 बार पढ़ भी ले तब भी बा जमाअत नमाज़ पढ़ने के षवाब के बराबर नहीं पहुच सकता।
     यक़ीनन बा जमाअत नमाज़ पढ़नेकी अपनी ही बरकतें है जो बगैर जमाअत के हासिल नहीं हो सकती। लिहाजा हमें चाहिए की बा जमाअत नमाज़ की अदाएगी के लिए वक़्त की पाबन्दी का खास ख्याल रखे और अपने काम, अहलो इयाल और दीगर मसरुफिय्यत पर नमाज़ को फौकिय्यत दे। क्यू की कोई अमल नमाज़ से बढ़ कर अहमिय्यत का हामिल नहीं हो सकता।
     अल्लाह पारह 28 सूरतुल मुनाफिकुन् की आयत 9 में इर्शाद फरमाता है।
*ऐ ईमान वालो तुम्हारे माल न तुम्हारी अवलाद कोई चीज़ तुम्हे अल्लाह के ज़िक्र से गाफिल न करे और जो ऐसा करे तो वोही लोग नुक्शान में है।*

     मुफ़स्सिरीने किराम की एक जमाअत का कौल है की इस आयते मुबारका में ज़िकृल्लाह से मुराद 5 नमाज़े है लिहाज जो अपने माल सामान खरीदो फरोख्त या पेशे या अपनी अवलाद की वज्ह से नमाज़ों को इन के अवकात में अदा करने से ग़फ़लत इख़्तियार करेगा वो ख़सारा पाने वालो में से होगा।
*✍🏽तर्के जमाअत की वईद, स. 4*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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