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Saturday 4 March 2017

*फैजाने रोज़ा* #06

*_जुमुआ के रोज़ो के मुतअल्लिक़ फ़ज़ाइल_*
     हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : जिस ने जुमुआ का रोज़ा रखा तो अल्लाह उसे आख़िरत के दस दिनों के बराबर अज्र आता फ़रमाएगा और उन की तादाद अय्यामे दुन्या की तरह नही है।
*✍🏽शोएबुल ईमान, 3/393, हदिष :3862*

     मगर तन्हा जुमुआ का रोज़ा न रखा जाए इस के साथ जुमारात या सनीचर मिला लेना चाहिये।

*_तन्हा जुमुआ का रोज़ा रखने की मुमानअत की रिवायत_*
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه रिवायत करते है, मेने हुज़ूर ﷺ को फरमाते हुए सुना, तुम में से कोई हरगिज़ जुमुआ का रोज़ा न रखे मगर ये की इस के पहले या बाद में एक दिन मिला ले।
*✍🏽बुखारी, 1/653, हदिष : 1985*

     हज़रते आमिर बिन लुदैन अशअरी رضي الله تعالي عنه से रिवायत है की में ने हुज़ू ﷺर को फरमाते हुए सुना, जुमुआ का दिन तुम्हारे लिये ईद है इस दिन रोज़ा मत रखो मगर ये की इस से पहले या बाद में भी रोज़ा रखो।
*✍🏽अल-तरगिब् वल-तरहिब, 2/81, हदिष :1592*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 311*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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