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Friday 3 March 2017

*फैजाने रोज़ा* #05
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_पिर और जुमारात के रोज़े के मुतअल्लिक़ रिवायत_*
     हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : पिर और जुमारात को आमाल पेश होते है तो में पसंद करता हु की मेरा अमल उस वक़्त पेश हो की में रोज़ादार हु।
*✍🏽तिर्मिज़ी, 2/187*

     हुज़ूर ﷺ पिर और जुमारात को रोज़े रखा करते थे इस के बारे में आप ने फ़रमाया : इन दिनों में अल्लाह हर मुसलमान की मगफिरत फ़रमाता है मगर वो दो शख्स जिन्होंने बाहम जुदाई कर ली है उन की निस्बत मलाइका से फ़रमाता है इन्हें छोड़ दो यहाँ तक की सुलह कर ले।
*✍🏽इब्ने माजह, 2/344*

     हज़रते अबू क़तादा رضي الله تعالي عنه फरमाते है, हुज़ूर ﷺ से पीर के रोज़े का सबब दरयाफ़्त किया गया तो फ़रमाया, इसी में मेरी विलादत हुई, इसी में मुझ पर वही नाज़िल हुई।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 591, हदिष : 1162*
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 304*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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