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Wednesday 22 March 2017

*तर्जमए कन्ज़ुल ईमान व तफ़सीरे खज़ाइनुल इरफ़ान* #177
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*_सूरतुल बक़रह, आयत ②③③_*
     और माएं दूध पिलाएं अपने बच्चों को (4) पूरे दो बरस उसके लिये जो दूध की मुद्दत पूरी करनी चाहे (5) और जिसका बच्चा है (6) उसपर औरतों का खाना और पहनना है दस्तूर के अनुसार (7) किसी जान पर बोझ न रखा जाए उसके बच्चे से  (8) और न औलाद वाले को उसकी औलाद से  (9) या माँ बाप ज़रर न दे अपने बच्चे को और न औलाद वाला अपनी औलाद को  (10) और जो बाप की जगह है उसपर भी ऐसा ही वाजिब है फिर अगर माँ बाप दानों आपस की रज़ा और सलाह से दूध छुड़ाना चाहें तो उनपर गुनाह नहीं. और अगर तुम चाहो कि दाइयों से अपने बच्चों को दूध पिलाओ तो भी तुमपर हरज नहीं कि जब जो देना ठहरा था भलाई के साथ उन्हें अदा करदो और अल्लाह से डरते रहो और जान रखो कि अल्लाह तुम्हारे काम देख रहा है.

*तफ़सीर*
     (5) यानी इस मुद्दत का पूरा करना अनिवार्य नहीं. अगर बच्चे को ज़रूरत न रहे और दूध छुड़ाने में उसके लिये ख़तरा न हो तो इससे कम मुद्दत में भी छुड़ाना जायज़ है. (तफ़सीरे अहमदी, ख़ाज़िन वग़ैरह)
     (6) यानी वालिद. इस अन्दाज़े बयान से मालूम हुआ कि नसब बाप की तरफ़ पलटता है.
     (7) बच्चे की परवरिश और उसको दूध पिलवाना बाप के ज़िम्मे वाजिब है. इसके लिये वह दूध पिलाने वाली मुक़र्रर करे. लेकिन अगर माँ अपनी रग़बत से बच्चे को दूध पिलाए तो बेहतर है. शौहर अपनी बीवी पर बच्चे को दूध पिलाने के लिये ज़बरदस्ती नहीं कर सकता, और न औरत शौहर से बच्चे के दूध पिलाने की उजरत या मज़दूरी तलब कर सकती है. जब तक कि उसके निकाह या इद्दत में रहे. अगर किसी शख़्त ने अपनी बीवी को तलाक़ दी और इद्दत गुज़र चुकी तो वह उस बच्चे के दूध पिलाने की उजरत ले सकती है. अगर आप ने किसी औरत को अपने बच्चे के दूध पिलाने पर रखा और उसकी माँ उसी वेतन पर या बिना पैसे दूध पिलाने पर राज़ी हुई तो माँ ही दूध पिलाने की ज़्यादा हक़दार है. और अगर माँ ने ज़्यादा वेतन तलब किया तो बाप को उससे दूध पिलवाने पर मजबूर नहीं किया जाएगा. (तफ़सीरे अहमदी व मदारिक). “अलमअरूफ़” (दस्तूर के अनुसार) से मुराद यह है कि हैसियत के मुताबिक़ हो, तंगी या फ़ुज़ूलख़र्ची के बग़ैर.
     (8) यानी उसको उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ दूध पिलाने पर मजबूर न किया जाए.
     (9) ज़्यादा वेतन तलब करके.
     (10) माँ का बच्चे को कष्ट देना यह है कि उसको वक़्त पर दूध न दे और उसकी निगरानी न रखे या अपने साथ मानूस कर लेने के बाद छोड़ दे. और बाप का बच्चे को कष्ट देना यह है कि हिले हुए बच्चे को माँ से छीन ले या माँ के हक़ में कमी करे जिससे बच्चे को नुक़सान हो.
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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