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Saturday 18 March 2017

*मुबारक महीने* #11
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

*रमज़ानुल मुबारक* #03
*_सगीरा गुनाहो का कफ़्फ़ारा_*
    हज़रते अबू हुरैरा رضي الله تعالي عنه से मरवी है, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : पाचो नमाज़े, और जुमुआ अगले जुमुआ तक और माहे रमज़ान अगले माहे रमज़ान तक गुनाहो का कफ़्फ़ारा है जब तक की कबीरा गुनाहो से बचा जाए।
*✍🏽सहीह मुस्लिम, 144, हदिष : 233*

*_तौबा का तरीक़ा_*
     रमज़ानुल मुबारक में रहमतो की छमाछम बारिशे और गुनाहे सगीरा के कफ्फारे का सामान हो जाता है। गुनाहे कबीरा तौबा से मुआफ़ होते है। तौबा करने का तरीक़ा ये है की जो गुनाह हुवा ख़ास उस गुनाह का ज़िक्र कर के दिल की बेज़ारी और आइन्दा उस से बचने का अहद कर के तौबा करे।
     मसलन झूट बोला, तो बारगाहे खुदा वन्दी में अर्ज़ करे, या अल्लाह ! में ने जो झूट बोला इस से तौबा करता हु और आइन्दा नही बोलूंगा।
     तौबा के दौरान दिल में झूट से नफरत हो और आइन्दा नही बोलूंगा कहते वक़्त दिल में ये इरादा भी हो की जो कुछ कह रहा हु ऐसा ही करूँगा जभी तौबा है।
     अगर बन्दे की हक़ तलफि की है तो तौबा के साथ साथ उस बन्दे से मुआफ़ करवाना भी ज़रूरी है।
*✍🏽मदनी पंजसुरह, 344*
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाए यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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