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Sunday 5 March 2017

*नींद या बेदारी*  #2
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*
 
      नींद हर हालतमें नुकसानदेह है। सब भलाइयां बेदारीमें और तमाम बुराइयां नींद में है, चुनान्चे जो आदमी ज़ुरुरतसे ज़यादा खुरदोनोश और नींदमें मशरूफ रेहता हो, तमाम नेकीयां और अच्छाइयां उससे दूर हो जाती है और जिसने बराए नामभी हराम खा लिया, गोया उसने अपनी ख्वाहिशके ज़ेरे असर बहोत ज़यादा हलाल खा लिया।
     इस लिये के हराम नूरे ज़ुलमातमें लपेट लेता है। जिस तरह शराब अकलको तारीकियों की नज़र कर देती है। और जब ईमान ही तारीकियों में गुम हो जाए तो नमाज़, इबादत, इख्लास सब बेसूद है।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 113
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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