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Wednesday 1 March 2017

*फराइज़ और नवाफ़िल*  #2
*بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ*
*اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ*

        हज़रत अली करमुल्लाहु वजहु से मरवी है के हुज़ूर अलयहिस्सलातो वस्सलामने फ़रमाया के फराइज़ से पेहले नवाफ़िल अदा करनेवाला उस हामला ओरत की तरह है जो बच्चा होनेके करीब ज़माने में इस्काते हमल (हमल गिराना) कर दे। इस तरह न वो साहबे हमल होती है, न साहबे औलाद।
      इसी तरह फराइज़ अदा करने से पेहले नफिल पढ़नेवालेकी इबादत ख़ुदातआला कुबूल नहीं करता, ये तो ऐसा ही है जैसे कोई ताजिर जब तक रासुल लाल हासिल न करे, उसे नफा हासिल नहीं होता।
बाक़ी कल की पोस्ट में... इंसा अल्लाह

*✍🏽फुतूहल ग़ैब*  पेज 111,112
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मिट जाए गुनाहो का तसव्वुर ही दुन्या से,
गर होजाये यक़ीन के.....
*अल्लाह सबसे बड़ा है, अल्लाह देख रहा है...*
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*​DEEN-E-NABI ﷺ*
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